भारत में बढ़ती महामारी को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाऊन का ऐलान किया गया था जो कि इस महामारी को खत्म करने का उद्देश्य था । लेकिन यह महामारी को कम करने व जड़ से खत्म करने में असफल रहा । इन पाँच महीनों के लॉकडाऊन में महामारी को तो नहीं कम किया गया लेकिन पाँच महीनों में घरेलू हिंसा के मामलों में सबसे ज्यादा उछाल देखने को मिला है । बढ़ती घरेलू हिंसा का मुख्य कारण मांसिक तनाव है । इस लॉकडाऊन के चलते दिमाग की स्थिरता ने कई घर उजाड़े तो वहीं कई हत्यारे भी पैदा हुए । राष्ट्रीय महिला आयोग के पास मार्च 2020 से 20 सितंबर 2020 तक घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण के तहत देश भर में लगभग 43 हजार केश महिला हेल्पलाइन नंबर पर दर्ज हुए हैं । यही नहीं बल्कि ऐसी बहुत सारी हत्याओं के केश भी सम्मिलित हैं । जो घरेलू हिंसा के कारण हुई हैं । और आत्महत्याओं के केश भी इस हिंसा के चलते सामने आए हैं । लॉकडाउन की शुरुआत में राष्ट्रीय महिला आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में एक ऐड कैंपन भी किया था ताकि लोग जागरुक हों । महामारी के चलते लोगों में मानसिक तनाव बढ़ता गया लोग एक जेल में बंद कैदी जैसा महसूस करने लगे जिससे यह घरेलू हिंसा, लड़ाई, आत्महत्या जैसे आँकड़े बढ़ने लगे ।
नाम- विवेक कुमार साहू (पत्रकार)
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