लखनऊ- हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा त्योहार का काफी महत्व है। हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म में गुरु पूर्णिमा त्योहार का ऐतिहासिक महत्व रहा है। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग 3000 ई. पूर्व में हुआ था। उनके सम्मान में ही हर साल आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। साथ ही यह भी मान्यता है कि महर्षि वेदव्यास जी ने शिष्यों एवं मुनियों को सर्वप्रथम श्री भागवत पुराण का ज्ञान दिया था। तभी से गुरु को पूजने के लिए गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाता रहा है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा के दिन सभी लोग अपने गुरु का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुरु पूर्णिमा का त्यौहार इस साल 13 जुलाई यानी बुधवार को मनाया जाएगा। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजा और दान पुण्य का विशेष महत्व है। दरअसल हिंदू धर्म ग्रंथों व शास्त्रों में भी कहा गुरु को ही ईश्वर के विभिन्न रूपों- ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश्वर के रूप में बताया गया है। गुरु को ब्रह्मा का ही रूप बताया गया है क्योंकि गुरु ही शिष्य को बनाता है, नव जन्म देता है।
गुरु पूर्णिमा का समय
हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस साल गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई 2022 को मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा तिथि 13 जुलाई को सुबह 4 बजे शुरू होगी और 14 जुलाई को रात 12.6 बजे खत्म होगी। गुरु पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करें और क्या न करें
हमेशा इन बात का ध्यान रखें कि किसी को भी बिना अच्छी तरह से जानें अपना गुरु नहीं बनाएं। बुद्धिमान, विवेकवान और शास्त्रज्ञ को ही अपना गुरु बनाना चाहिए। वहीं यदि आपने पहले से किसी को गुरु बनाया है तो गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का ध्यान करना चाहिए और गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए। जिन्होंने अपना गुरु नहीं बनाया है, वे भगवान शिव को गुरु मानते हुए पंचाक्षर मंत्र का जप करना चाहिए।
गुरु पूर्णिमा पर बनेगा राजयोग
गुरु पूर्णिमा पर ग्रह नक्षत्रों की युति के हिसाब से 4 राजयोग बन रहे हैं। 13 जुलाई 2022 बुधवार को गुरु पूर्णिमा के दिन पंचांग के अनुसार मंगल, बुध, गुरु और शनि की स्थिति राजयोग बना रही है। इस अवधि में रुचक, भद्र, हंस और शश नामक 4 राजयोग बन रहे हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है।
गुरु पूर्णिमा पर पूजन सामग्री
गुरु पूर्णिमा वाले दिन गुरु की पूजा करने से ये सामग्री जरूर इकट्ठा कर लें। धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस दिन पूजन में पान का पत्ता, पीला कपड़ा, पीला मिष्ठान, नारियल, पुष्प, इलायची, कर्पूर, लौंग व अन्य सामग्री शामिल करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करना चाहिए। उसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और पूजा के बाद गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए।
इन गुरु मंत्रों का भी कर सकते हैं जाप
ॐ गुं गुरवे नम:। ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।
ॐ बृं बृहस्पतये नम:। ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।