बीत गया वह पल जो बहुत सुनहरा था,
रंग-बिरंगे बगीचों का तो बस एक जमाना था।
अदृश्य हो गई वह चहचाहती पक्षियों की आवाज..
बेजान हो गई वह शाखाएं जिन पर इनका बसेरा था,
छीनकर पंछियों का बसेरा मनुष्यों ने बनाया अपना आशियाना।
पेड़ पौधे लगाना तो बस एक मात्र दिखावा हो गया
बस अब तो सेल्फी का जमाना हो गया।
भूल गए हम एक बात जो हमारे पूर्वजों ने बताई थी,
जन्म लिया इस पृथ्वी पर इसकी हम रक्षा करेंगे प्राकृतिक की हर चीजों को हम सजोक के रखेंगे।
मत काटो इन पेड़ों को जो हमें जीवन दे रहे,
जहरीली गैसों को खुद लेकर हमें शुद्ध हवा दे रहे।
फिर भी हम उन्हें काट कर अपना स्वार्थ दिखा रहे,
नए-नए वैज्ञानिक रसायनों से पेड़ॊ को हटा रहे।
बदल गए वह लोग जो प्रकृति को सजाते थे।
पेड़ लगाओ- पेड़ बचाओ तो एक मात्र नारा बन गया,
आज के समय में यह पेड़ बेचारा लोगों के हाथ कट गया।
रंग-बिरंगे बगीचों का तो बस एक जमाना था।
अदृश्य हो गई वह चहचाहती पक्षियों की आवाज..
बेजान हो गई वह शाखाएं जिन पर इनका बसेरा था,
छीनकर पंछियों का बसेरा मनुष्यों ने बनाया अपना आशियाना।
पेड़ पौधे लगाना तो बस एक मात्र दिखावा हो गया
बस अब तो सेल्फी का जमाना हो गया।
भूल गए हम एक बात जो हमारे पूर्वजों ने बताई थी,
जन्म लिया इस पृथ्वी पर इसकी हम रक्षा करेंगे प्राकृतिक की हर चीजों को हम सजोक के रखेंगे।
मत काटो इन पेड़ों को जो हमें जीवन दे रहे,
जहरीली गैसों को खुद लेकर हमें शुद्ध हवा दे रहे।
फिर भी हम उन्हें काट कर अपना स्वार्थ दिखा रहे,
नए-नए वैज्ञानिक रसायनों से पेड़ॊ को हटा रहे।
बदल गए वह लोग जो प्रकृति को सजाते थे।
पेड़ लगाओ- पेड़ बचाओ तो एक मात्र नारा बन गया,
आज के समय में यह पेड़ बेचारा लोगों के हाथ कट गया।
-विवेक कुमार साहू
Bahut acchi kaita h sir jiii
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