मां सरस्वती जिन्हे हम विद्या, संगीत, कला की देवी कहते है.सरस्वती हिन्दू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं हिन्दु धर्म में मां सरस्वती को सभी देवियों में प्रमुख माना गया है।विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं।
यदि कोई भी व्यक्ति मां सरस्वती की उपासना सच्चे मन से करे तो उस व्यक्ति पर मां सरस्वती का आशिर्वाद सदा बना रहता है, कहते हैं कि महाकवि कालिदास, वरदराजाचार्य, वोपदेव आदि मंद बुद्धि के लोग सरस्वती उपासना के सहारे उच्च कोटि के विद्वान् बने थे। माँ सरस्वती का वर्णन वेदों - उपनिषदों, रामायण, महाभारत के अतिरिक्त देवी भागवत पुराण, कालिका पुराण, वृहत्त नंदीकेश्वर पुराण तथा शिव पुराण केवल इन 4 पुराणों में ही आया है। मां सरस्वती को हम कई नामों से जाना जाता है- शारदा, शतरूपा, वीणावादिनी, वीणापाणि, वाग्देवी, वागेश्वरी, भारती आदि। मान्यता है कि मां सरस्वती का जन्म बसंत ऋतु में हुआ था जिसे हम बसंत पंचमी के रूप में मनाते है इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है।मां सरस्वती की अराधना से बौद्धिक क्षमता विकसित करने, चित्त की चंचलता एवं अस्वस्थता दूर करने के लिए सरस्वती साधना की विशेष उपयोगिता है।
कड़ -कड़ में बसी माँ सरस्वती,
हर घर में विराजित माँ सरस्वती।
सच्चे मन से याद तो करो,
आपकी पुकार जरूर सुनेंगी माँ सरस्वती।।
- विवेक कुमार साहू
Bahut achha likha hai
ReplyDeleteजय मां शारदे
ReplyDelete