PIN CODE के नंबर में छिपा होता है आपका एड्रेस

लखनऊ- हम सभी ने खत लिखे है, पते के साथ पिन कोड लिखा है. आज भी चिट्ठी भेजने, कुरियर या मनी ऑर्डर के लिए पिन कोड की जरूरत होती थी. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि पिन कोड का मतलब क्या होता है? पिन कोड एक बहुत ही खास नंबर होता है जिस पर हमारा पूरा पोस्टल सिस्टम निर्भर करता है. पिन कोड की शुरुआत 15 अगस्त 1972 को हुई थी.

1972 में शुरू हुई पिन कोड पद्धति

पिन का मतलब पोस्टल इंडेक्स नंबर है. ये 1972 में हुआ था. इसकी शुरुआत श्रीराम भीकाजी वेलणकर ने की थी. दरअसल साल 1972 तक सामान्य डाकघर में चिठ्ठियों को पढ़ा जाता था और खंडों में विभाजित किया जाता था. इस काम में कई मुश्किलें थीं. कई बार लोगों के खत गलत एड्रेस पर चले जाते थे. इन सब से बचने के लिए अक्षरों को सेक्शन में विभाजित करने के लिए यह पिन कोड पद्धति लागू की गई थी.

कैसे करता है काम?

पिन कोड बड़े ही काम का नंबर होता है. 6 नंबरों को मिलाकर बनाया गया ये कोड आपके एरिया की पूरी जानकारी देता है. इसका हर नंबर किसी खास एरिया के लिए ही बनाया गया है. इस जानकारी की मदद से पोस्ट ऑफिस के लोग सही जगह पैकेट को डिलिवर करते हैं. हमारा पूरा देश 6 खास जोन में डिवाइड किया हुआ है. इसमें रीजनल जोन और एक फंक्शनल जोन है. हर पिन कोड किसी ना किसी खास जोन की जानकारी देता है.

किस राज्य का क्या है पिन

11 - दिल्ली

12 और 13 - हरियाणा

14 से 16 - पंजाब

17 - हिमाचल प्रदेश

18 से 19 जम्मू और कश्मीर

20 से 28 - उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड

30 से 34 - राजस्थान

36 से 39 - गुजरात

40 से 44 - महाराष्ट्र

45 से 49 मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़

50 से 53 - आंध्र प्रदेश

56 से 59 - कर्नाटक

60 से 64 - तमिलनाडु

67 से 69 - केरल

70 से 74 - पश्चिम बंगाल

55 से 77 - उड़ीसा

78 - असम

79 - पूर्वांचल

80 से 85 बिहार और झारखंड

90 से 99 - सेना डाक सेवा




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