हम बेजुबा, हैं हम बेगुनाह हैं..(कविता)
दर-दर भटकता हूं मैं, क्योंकि मैं बेजुबान हूं... अपने पेट को भरने के लिए, लोगों की मार खाता ह…
दर-दर भटकता हूं मैं, क्योंकि मैं बेजुबान हूं... अपने पेट को भरने के लिए, लोगों की मार खाता ह…
युवा नजर - सोशल मीडिया का वो दौर जहां रानू मंडल जैसे हुनर रखने वाली महिला को रातों रात प्र…
आ गया होली का त्यौहार उड़ने लगा रंग और गुलाल,, मच ने लगी झूम खुशी और फूलों की बौछार, रं…
मौसम में बदलाव आया है, हवाओं में निखार आया है' फूलों में सुगंध और फसलों में सुनहरा पल…
वीर जवान तुझे सलाम एक बचपन का सपना होता......... मै बड़ा होकर सेना में ज…
ऐसी है गरीबो की दुनिया एक ऐसे परिवार की बात है जो बहुत गरीब था उसके पास खाने का कुछ नहीं …
सावन और किसान अजीब विडंबना है... छत टपकती है उसके कच्चे मकान …
गरीबों की दुनिया एक ऐसे परिवार की बात है जो बहुत गरीब था उसके पास खाने का कुछ नहीं था उस प…